दिल्ली,देश,दुनिया----सत पाल
मंतर जंतर
जंतर मंतर को उलटा मंतर जंतर लिखने का मतलब है कि 1993 से विरोध प्रदर्शनों, धरनों और कई कई महीनों तक किसी मुद्दे को लेकर लगातार 24 घंटे विरोध जारी रखने का स्थान बंद होने वाला है। लगभग 24 साल तक जो स्थान गुलजार रहा वहां अब सुनसान होने वाला है। एन जी टी की चिंता वाजिब है कि जंतर मंतर पर प्रदर्शनों के शोर, नारों और लाउड स्पीकर की भारी आवाज से होने वाले ध्वनि प्रदूषण से ऐतिहासिक , पुरातन, खगोलीय अध्ययन के निर्माण को नुकसान हो सकता है। यह स्थान अन्ना आंदेलन के सूत्रपात, निर्भया के लिये जली मोमबत्तियों, जिम्मेदार लोगों के देखते देखते एक किसान की आत्म हत्या और तमिलनाडु के किसानों के अर्ध नग्न हो कर कंकालों के सामने किये गये लम्बे विरोध के लिये याद किया जायेगा। आखिर सवाल है कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में विरोध करने वाले कहां जायें। इससे पहले बोट क्लब पर ऐसे प्रदर्शनों, विरोध और धरनों का नजारा दिखायी देता था। इस स्थान का फायदा यह था कि लंच के समय बड़ी संख्या में बाबू वहां जमा होते थे और विरोध करने वालों को बिना किसी कोशिश के दर्शक और श्रोता मिल जाते थे। इसलिये यहां विशाल राजनीतिक रैलियां हुआ करती थीं और लंच के समय बाजार और सत्संग वालों को भी स्थान मिल जाया करता था। सचमुच बोट क्लब भारत में लंदन जैसा हाइड पार्क बना हुआ था। इसी स्थान से सरकारी कर्मचारियों के आंदोलन किये जाते थे और देश की जनता की नब्ज का अंदाजा भी लग जाता था। आपात काल हटाये जाने के बाद होने वाले लोक सभा चुनाव के दौरान तत्कालीन प्रधान मंत्री की चुनावी रैली में उनके आते ही एक मिनट में रैली समाप्त होने से समूचे देश को पता चल गया था कि भारत में बदलाव की आंधी चल रही है। इसी मैदान पर 1984 में देश की महान महिला और दुर्गा जैसी शक्ति की प्रतीक प्रधानमंत्री की हत्या के बाद हुयी एक विशाल सभा में नये पी एम राजीव गांधी ने कहा था कि बड़े पेड़ के गिरने से धरती तो हिलती है। इसी स्थान पर स्वर्गीय ताऊ की रैली में आयी भीड़ ने बोट क्लब और आस पास सामान खाने की और अन्य वस्तुओं की लूट पाट की थी। हद तो तब हुयी जब टिकैत के बुलावे पर बोट क्लब आये हजारों किसानों के काफी दिन चले धरने से यह स्थान विशाल खुला शौचालय बन गया था। ऐसी घटनाओं के कारण विरोध अभिव्यक्ति और मांगें मनवाने की शक्ति प्रदर्शन का स्थान बदल कर जंतर मंतर कर दिया गया। इससे पहले 1966 तक संसद के गेट तक प्रदर्शन की अनुमति थी। गौ हत्या के विरोध प्रदर्शन में कई संतों की मौत होने के बाद यह स्थान बंद हो गया। अब रामलीला मैदान में विरोध लीला करने का प्रस्ताव है,देखते हैं क्या होगा।
मंदिर दर्शन
मंदिर दर्शन का क्या चुनावी कामयाबी से कोई संबंध है। देश की सबसे पुरानी पार्टी में बड़ी भूमिका का इंतजार कर रहे नेता ने मंदिर दर्शन और पूजा पाठ शुरू कर दिया है। इसके विश्लेषण से दो बातें सामने आती हैं, क्या यह देखा देखी किया जा रहा है या धर्म के प्रति अचानक लगाव शुरू हुआ है।
दीवार
अमरीका में मेक्सिको से अवैध प्रवेश रोकने के लिये तीन करोड़ रु की लागत से तीन हजार किमी लंबी दीवार बनाने के लिये चार कंपनियों ने रुचि दिखायी है। यह अनूठी दीवार होगी और इसकी नई तकनीक से निगरानी की जायेगी।