ये काला,काला क्या है?

ये काला,काला क्या है ?

मुल्क में हर तरफ काले धन की चर्चा है यानि ब्लैक मनी पर काबू पाने के लिए बाहरी मुल्कों के बैंकों में जमा रकम देश वापस लाने और बैंकों में जिन लोगों के नाम खाते हैं उनके नाम जग जाहिर किये जाने की मांग की जा रही है. इस मुद्दे को और तो और एक बाबा सन्यासी और एक पार्टी ने भी गर्म कर रखा है. इतना ही नहीं एक वकील ने भी सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी है और अब तो देश की केबिनेट में भी इस पर चर्चा की गई है . ब्लैक मनी पर इतने कोहराम के बाद भी दिल्ली के मौजी राम को कोई चिंता नहीं है. वह तो हर आदमी से यह जानना चाहता है कि ये काला , काला क्या है? काला धन क्या होता है? उसका कहना है कि अब तक न तो किसी सरकार ने काले सिक्के बनाये हैं और न ही कोई काले नोट ?

मौजी राम का यह भी दावा है कि उसके पास बेइंतिहा रकम है और यह सारी की सारी काली है. उसका यह भी कहना है कि इस रकम को कोई भी पकड़ नहीं सकता, कोई भी खोज नहीं सकता, कोई निकाल नहीं सकता. मौजी राम यह भी कहता है कि उसने अपनी दौलत को नज़र से बचाने के लिए उस पर कालिख लगा दी है . इस तरह मौजी राम की काली रकम है. मौजी राम का यह भी दावा है कि न तो कोई इनकम टैक्स, न कोई सी बी आई और न ही कोई सरकार इस रकम का पता लगा सकती है .

मौजी राम को इस बात का भी संतोष है कि उस पर सुप्रीम कोर्ट के आर्डर भी लागू नहीं होंगे क्योंकि बड़ी अदालत तो बाहरी मुल्कों में जमा ब्लैक मनी पर गौर कर रही है जबकि उसकी कालिख लगी मनी तो दिल्ली में गढ़ी है, कहीं ज़मीं के नीचे , कहीं कुँए से तीस कदम दूर, कहीं यमुना के पिछवाड़े, कहीं शमशान के आखिरी दरवाज़े से पांच गज हट कर और कहीं माशूक नंबर इक्कीस के चौथे कमरे की टूटी अलमारी के बगल में.

मौजी राम यह भी कहता है कि यह रकम कमाई की है लूट की नहीं. जब उसे बताया गया कि जिस रकम का ज़िक्र खाते में नहीं होता वही काली रकम होती है तो मौजी राम ने जवाब दिया कि उसे खाते या अकाउंट का कुछ पता नहीं. उसने कहा कि यह सब बेकार की बातें हैं. मौजी राम ने कहा वह तो खानदानी आदमी है और उसके खानदान में सब हिसाब किताब ज़ुबानी चलता रहा है , न तो उसके दादा, परदादा और न ही पिता ने कोई खाता रखा. पूरा का पूरा खानदान लाजवाब है जिसकी यादाश्त भी बेमिसाल रही है. हमें खातों से कुछ लेना देना नहीं है.

अपनी रकम को नज़र से बचाने के लिए काला टीका ज़रूर लगाया है मगर हमारी ब्लैक मनी नहीं है. हमारा कोई क्या कर लेगा, हमें ही इस रकम को ढूँढने में पसीने आ जाते है तो सरकार क्या इसे ढूंढ सकेगी ?

आखिर में मौजी राम ने एक पते की बात कही कि जो बिन कुछ किये रकम लेते हैं और खुले आम खाते हैं या शर्म आने पर छिप छिप कर खाते हैं और सीधे उलटे खाते खुलवाते हैं , उनके पास ही होगी ब्लैक मनी. मौजी राम जैसे लोग तो कमाते हैं और मौज उड़ाते हैं. हमारे पास न तो कुछ काला है और न ही कुछ दाल में काला .

1 टिप्पणियाँ:

Yeh Baat to sach hain,jiske paas kaala nahi hain, woh mauj main hain, jise paas kala hain ...woh mauj ki khoj mein !!!

 

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