ये सी डी सी डी क्या है



मेरा कसूर क्या है

मेरा कसूर क्या है ?

बर्तन परिवार के सबसे छोटे और खुद को उपेक्षित मान रहे सदस्य चम्मच ने बर्तन परिवार के मुखिया श्री कलश महाराज से पूछा, --महाराज आखिर मेरा कसूर क्या है जो सभ्य समाज मुझे हीन दृष्टि से देखता है, आखिर क्यों इन आदमियों ने एक दूसरे को चमचा कहकर मुझे बदनाम कर रखा है? महाराज, मैं इस चिंता में परेशान हूँ के आखिर इन्सान ने क्यों मेरा नाम बदनाम किया? मैंने उनका क्या बिगाड़ा था ? महाराज, मुझे इस तोहमत से बचाओ .

यह सुनकर कलश महाराज बोले, --पुत्र चम्मच , कोई बात नहीं. इंसानों में एक दूसरे पर बेवजह आरोप लगाने और एक दूसरे को बदनाम करने की आदत है. बर्तन बिरादरी उनकी फितरत नहीं बदल सकती.

चम्मच ने कहा, --मैं निरीह हूँ, बच्चों और बूढों को खाना मुंह तक ले जाने में मददगार हूँ. तरह तरह के पकवान, मिष्ठान खाने के लिए जरिया बनता हूँ . अब तो दक्षिण के लोग भी मेरा इस्तेमाल कर रहे हैं. उन्हें भी हर जगह हाथ से खाना अच्छा नहीं लगता. कहीं भी , किसी भी दावत में, कोई प्लेट मेरे बिना पूरी नहीं हो सकती. कांटें, छुरियां भी मेरे मुकाबले में पिछड़ रही हैं. आखिर इन्सान ने मुझे क्यों बदनाम क्या . मुझे इस हिकारत से बचा लो ,बर्तन शिरोमणि . मेरी रक्षा कीजिये, आपके बिना तो पूजा संभव नहीं है. कोई उपाय बताइए , महाराज.

कलश महाराज ने कहा , --कोई बात नहीं छुटकू , हमारी बिरादरी में केवल तुम ही बदनाम नहीं हो. बेपेंदी का लौटा और थाली के बैंगन के रूप में ये दोनों बदनाम हैं. और तो और, हमारे समुदाय के नाम पर तो कलह को भी जोड़ा गया है. परिवार में जब झगडे होते हैं तो कहते हैं---बर्तन बज रहे हैं. कोई बात नहीं बालक चम्मच , कोई बात नहीं. इंसानों को छिन्ताकाशी

करने और ताना मारने में आनंद आता है. बर्तन बिरादरी तो सेवा करती है, न हम इसके बदले कोई मेवा चाहते हैं और न ही किसी बदनामी से डरते हैं.

इतना सुन चम्मच ने कहा , -----महाराज , मानव समाज में जिसे भी चम्मच कहा जाता है, उसे खुदगर्ज़, अवसरवादी और तलुआ सहलाने वाला माना जाता है. क्या एक भी ऐसा गुण मुझमें है, बिलकुल नहीं, तो महाराज आप मेरे दर्द को या तो सुप्रीम कोर्ट के सामने रखें या किसी एम् पी से कह कर पार्लियामेंट में सवाल उठ्वाएं. अगर आपने कुछ नहीं किया तो मैं तो बदनामी में दब जाऊँगा, शर्म से मर जाऊँगा.

कलश महाराज, ---ठीक है बालक, मैं आज ही अपनी बिरादरी की वकील काठ की हांड़ी को बुलाकर परामर्श करता हूँ. मुझे यकीन है-- कम से कम काठ की हांड़ी पहली बार तो केस जीत ही जाएगी . यह तो मानता हूँ के वह बार बार नहीं चढ़ती .

चम्मच बोला---चम्मच बदनाम हुआ, आदमी तेरे लिए .

आँख

आँख

सांच को आंच नहीं कहते हैं.
दो और दो पांच नहीं कहते हैं.
जो नज़र देखते करे घायल
उसे तो आँख नहीं कहते हैं.