एस एम् एस का संसार
वक़्त के साथ ज़माना बदलता है, कई बार तो ज़माना वक़्त से आगे चलता है . वक़्त के साथ बदलने में ही भलाई है क्योंकि अगर आप नहीं बदल पाते तो पिछड़ जाते हैं. कभी बधाई देने के लिए खुद जा कर मिलने, चिट्ठियां और कार्ड डालने और फोन करने का सिलसिला चला करता था लेकिन अब इसकी जगह एस एम् एस ने ले ली है और आज का संसार एस एम् एस का संसार बन गया है. कहने को इसे शार्ट मैसेज सर्विस कहा जाता है मगर यह तो कई जगह सीक्रेट मैसेज सर्विस बन कर रह गई है और इसके तहत एक आदमी के दिल की आवाज़ सीधे उस आदमी के दिल तक जा पहुंचती है जिसे वह भेजना चाहता है और दोनों यानि मैसेज भेजने वाला और मैसेज पाने वाला इसे तुरंत डिलीट कर देते हैं. कई बार मैसेज भले ही डिलीट कर दिए जाएं मगर भेजे गए मैसेज दिल पर असर छोड़ जाते हैं और ऐसे मैसेज से ज़िन्दगी की शुरुआत भी हो जाती है. न्यू ईयर , दीवाली और कई दूसरे त्योहारों पर तो एस एम् एस करने वालों में होड़ लग जाती है. थोक में एस एम् एस भेजे जाते हैं औए मोबाइल लाईनों पर कंजेशन हो जाता है. कई मैसेज इस कंजेशन में अटक और भटक जाते हैं और मैसेज नहीं भेजने वाले दोस्तों के लिए बहाना बन जाता है कि उन्हों ने मैसेज तो भेजा था पता नहीं क्यों नहीं मिला . ऐसे मौकों पर एस एम् एस करना महज़ फार्मेलिटी ही बन गया है. भले ही दिल में मैसेज करने की तमन्ना हो या नहीं हो मगर अपनी हाजिरी रजिस्टर कराने के लिए ऐसा करना ज़रूरी बन जाता है. यूँ तो लोग मोबाइल फोन पर मिस्ड काल दे कर भी अपनी मौजूदगी रजिस्टर करवाते हैं मगर मिस्ड काल से बेहतर तो एस एम् एस माना जाता है .
एस एम् एस का मतलब बन गया है सस्ती मेमोरी सर्विस मगर एक पैसा या ५ पैसे में एस एम् एस सेवा देने का दावा करनेवाली मोबाइल कम्पनियां भी न्यू ईयर और दीवाली जैसे मौकों पर अपने रेट बढ़ा कर तीन रुपये का एक एस एम् एस कर देती हैं मगर ऐसा करने से इन कंपनियों के कमर्शियल रवय्ये का तो पता चलता है लेकिन एस एम् एस का तूफ़ान रुकता नहीं है और लोग बढ़ाये गए रेट की परवाह किये बगैर अंधाधुंध एस एम् एस करते रहते हैं. जब दिल की बात दिल तक पहुंचानी हो तो फिर बढ़ाये गए रेट दीवार नहीं बन सकते. एस एम् एस कोई दीवार नहीं बल्कि एक दिल से दूसरे दिल तक पहुँचाने का मज़बूत पुल है. एस एम् एस का चलन इतना बढ़ गया है कि अब बिजली कम्पनियाँ, रेलवे , स्कूल , कालेज , सिनेमाघर आदि अपनी सूचना देने के लिए एस एम् एस का इस्तेमाल करते हैं. आज व्यापर में एस एम् एस मददगार बन गया है. रियल एस्टेट वाली कम्पनियां तो अपने प्रोजेक्ट के बारे में दिन में दस दस बार एस एम् एस कर के नाक में दम कर देती हैं. टी वी पर रियल्टी शो और कई क्विज़ का जवाब देने के लिए एस एम् एस से ये कम्पनियां कमाई करती हैं क्योंकि ऐसे एस एम् एस का रेट ६ रुपये होता है जिसमें से ज़्यादातर रकम उस कंपनी को मिलती है जिसका शो या क्विज़ होता है. न्यूज पेपर और मीडिया भी लोगों से राय लेने के लिए ऐसे महंगे एस एम् एस का सहारा लेते हैं कुछ भी हो एस एम् एस ने लव बर्ड्स यानि इश्क करने वालों को एक नयी उड़ान दी है. उनका प्यार का संसार एस एम् एस पर मयस्सर हो गया है. इश्क करने वालों की उंगलियाँ मोबाइल पर इतनी तेज़ी से मीठे मीठे मैसेज टाईप करती हैं . इतना ही नहीं उन आशिकों ने एस एम् एस की नयी भाषा, नया व्याकरण और नए संकेत इजाद किये हैं जो हमारे लिटरेचर का हिस्सा बनते जा रहे हैं . इसका नमूना कुछ ऐसे अख़बारों में दिखता है जो लव बर्ड्स को अपने अख़बार के ज़रिये मैसेज देने का मौक़ा देते हैं.
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