रुबाई

लुत्फ़ के तय तो तरीके होंगे
कहने, हसने के सलीके होंगे
बंदिशों से घुटे, दबे घर में
खिडकियों के भी गिले होंगे

ख्वाब कितने हसीं होते हैं
कैसे पकडूं महीन होते हैं
ख्वाब सरमाया हो नहीं सकते
कहने कों बेहतरीन होते हैं

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