हरा चश्मा नहीं मिला

हरा चश्मा नहीं मिला । जी हाँ इस दिल्ली शहर में हरा चश्मा नहीं मिला, यह दास्ताँ इसी शहर की है। एक बच्चे ने अपने पिताजी से अपने लिए एक हरा चश्मा दिलवाने के लिए कहा। पिताजी ने अपने आस पास सभी चश्मे और गोगल की दुकानों पर जा कर ऐसा चश्मा खरीदने की कोशिश की मगर उसे नहीमिला। इस पर पिता ने बेटे से लाल या फिर काला चश्मा लेने को कहा मगर बच्चे ने तो जिद्द पकड़ ली। अब वह आदमी अपनी कार चला कर पूरी दिल्ली के चश्मे की दुकानों और स्टोर पर गया लेकिन उसे कहीं भी ऐसा चश्मा नहीं मिला। आख़िर वह हार कर निराश और हताश हो गया। उसने दूकानदार से पूछा , जब हम छोटे होते थे तो आसानी से हरा चश्मा मिल जाता था लेकिन अब ऐसा क्या हो गया जो इस का अकाल पड़ गया है। इस पर दूकानदार ने जवाब दिया, अब हम दूकान पर हरा चश्मा रखते ही नहीं क्योंकि न तो ये बिकते है, न कोई इस की मांग करता है और इस की ज़रूरत ही नहीं है क्योंकि अब हरयाली ही इतनी ज़यादा है कि हरा चश्मा बेकार लगता है। जब से दिल्ली में शीलाजी की सरकार बनी है हरियाली बेतहाशा बढती गई है और अब इतनी हरियाली है कि हरे चश्मे बिकने बंद हो गए है । दिल्ली पूरे संसार में सब से अधिक हरी भरी राजधानी है॥ यह बात तो पिताजी को समझ आ गयी मगर उसे यह दुःख हो रहा था कि वह अपने बच्चे की डिमांड पूरी नहीं कर सका।

1 टिप्पणियाँ:

Dilli ko haribhari banane ke liye Shiela ji ko badhai aur hara chashma likhne ke liye aapko bhi hari-hari badhai.. Nayani

 

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