सुट्टा बंद

जी हाँ, अब सरेआम आप धुएँ के छल्ले नहीं देख पाएंगे क्योंकि देश की सबसे बड़ी सरकार यानि नई दिल्ली की सरकार ने सुट्टा बंद करने का पुख्ता प्रबंध किया है । इतना ही नहीं इस काम में मुल्क की बड़ी से बड़ी अदालत ने भी रोक लगाना वाजिब नहीं समझा । अब केन्द्र सरकार ने सिगरेट आदि के पैकेज पर डरावने चित्रों से चेतावनी देना शुरू कर दिया है। सचमुच अब सुट्टा बंद का जज्बा सर चढ़ कर बोलेगा । सुट्टा मारने वालों को अगर यह मौका न मिले तो उनकी बेकरारी ऐसे बढ़ जाती है जैसे समंदर में ज्वार आता है। इस बेकरारी की झलक पाकिस्तानी बैंड के एक गाने --सुट्टा न मिला में साफ़ झलकती है। जब सुट्टा मिल जाता है तो फिर उसका आखिरी कश तक मज़ा लेते हैं लोग भले ही जलती सिगरेट में उनकी उँगलियों की खाल न जल जाए । जब स्मोकिंग से अन्दर के शरीर को घुन लग जाता है तो उगलियों पर आने वाली आंच की कौन परवाह करेगा । स्मोकिंग की भी ऐसी लत है कि छुडाये नहीं छूटती ।कुछ लोग तो इसे स्त्तियोरिय्द कीतरह मानते हैं और रात भर जागने और फिर अपने काम में कन्संत्रत करने के लिए सिगरेट का सहारा लेते हैं। इतना ही नहीं सरकारी दफ्तरों और पुब्लिक डीलिंग की जगह पर अब काम के बन्दे के साथ दोस्ती करना और अपना काम निकालना भी टेढी खीर हो जाएगा क्योंकि सिगरेट ऑफर करने से एक तो इन्फोर्मल रिलेशन बनने लगते हैं और दूसरे दोस्ती की बुनियाद भी पड़ने लगती है। और सिगरेट पीने वाले एक ही सिगरेट से बदल बदल कर कश लेते हैं। आख़िर इतनी इंसानियत और भाईचारे पर ठेस नहीं लगेगी , क्या सुट्टा बंद हो जाने से । अब तक लोग स्मोकिंग को मरदाना शौक मानते रहे हैं और लोग अपनी ऐंठ दिखाने के लिए भी कश लगाते हैं। इतना ही नहीं अब तो लड़कियां भी लड़कों जैसा दम ख़म दिखाने के लिए सुट्टा लगा लेती हैं। ऐसे नज़ारे तो कालिजों और उनिवेर्सितियों में अक्सर दिखाई देते है। बहरहाल पब्लिक प्लेसिस पर सुट्टा बंद होने से कुछ हद तक सिगरेट में सुल्फा दूसरी नशीली दवाएं लेने वालों पर तो कुछ पाबंदी लागू होगी। सुट्टा बंद करने के फायदे उन लोगों के लिए हैं जो स्मोकिंग नहीं करते , ये लोग पेस्सिव स्मोकिंग के शिकार हो कर बीमारी के शिकार होते हैं। केन्द्र सरकार ने क़ानून तो अच्छा बनाया है। मगर इसे सख्ती से लागू करने से ही नतीजे मिलेंगे । जहाँ ज़रूरी है वहां स्मोकिंग ज़ोन भी बनने चाहिंए और कानून के नियमों कोनज़रंदाज़ करने वाले लोगों से अगर २०० रुपये जुर्माना मौके पर वसूल किया जाए तो बेहतर नतीजे मिल सकते हैं । क़ानून बेहतर है क्योंकि इसके सिवा कोई चारा नहीं था। इंसानों को कैंसर और फेफड़ों
की बीमारी से बचाने का क़ानून इसलिए भी ज़रूरी था क्योंकि सरकार अपने रेवेन्यु को देखते हुए सिगरेट बनाने पर तो पाबन्दी लगे नहीं सकती इससे होने वाले नुक्सान को तो रोक सकती है।

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