काला चश्मा कामयाब

देश के एक दक्षिणी प्रान्त के वरिष्ठ राजनेता ने अपना छियासिवान जन्म दिन चेन्नई में मनाया। उनका काला चश्मा खूब जलवे दिखाता है। यह नेता अपने काले चश्मे की आड़ में जब अपनी राजनीतिक चालें चलता है तो उनकी असली आँखों से उनके सही मकसद का पता नहीं चलता। यह काला चश्मा कई दशक से उनकी ढाल बना हुआ है। इसी ढाल का सहारा लेकर वह नेता अपने तीर फेंकता है जो शायद कही निशाने से नहीं चूकते । इसी काले चश्मे को अपनी हिम्मत की ताकत मान कर किसी भी छोटी बड़ी बात को वह अपना धारदार मुद्दा बना लेता है और भूख हड़ताल पर बैठने से भी गुरेज़ नही करता। यह बात अलग है , वह सत्याग्रह भले ही चंद घंटे तक ही चले। जब यह नेता ज़रा सा नाराज़ हो कर रूठ जाता है तो अस्पताल में जा कर भरती हो जाता है और दिल्ली से बड़े बड़े नेता सुलह सफाई के लिए दस्तक देने पहुँच जाते हैं। इस नेता को शायद अपने काले चश्मे के शुभ होने का भरोसा है जिस वजह से इस नेता को अपने पूरे परिवार को राजनीतिक तौर पर स्थापित करने में कामयाबी मिली है। ऐसे नेता के जन्म दिन पर रौनक होने के बावजूद इस नेता को अम्मा के आने की आशंका सताती रहती है। मगर इस काले चश्मे वाले व्हील चेयर पर से सरकार चलाने वाले नेता को भरोसा है ,उनका तमिल मुद्दा हमेशा उन्हें कामयाबी दिलाता रहेगा, इस से भी ज़्यादा भरोसा उन्हें अपने काले चश्मे पर है क्योंकि काले रंग पर भरोसा है क्योंकि यह सबसे ज़यादा नज़र से बचाता है फ़िर अम्मा से क्या डरना, काला चश्मा कामयाब, नेता जी को रखना याद।

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