कोरम कैसे पूरा होगा

कोरम कैसे पूरा होगा ------ हमारे मुल्क की पार्लियामेंट और असेम्बलियों में अक्सर देखा गया है कि एम् पी और एम् एल ए सदन के अन्दर कामकाज के वक़्त बहुत थोड़ी तादाद में मौजूद रहते हैं। बार बार कोरम का संकट सामने आता है और लगातार घन्टिया बजने के बाद सचमुच ' वार लाईक सिचुअशन ' की तरह मेम्बरों कों जमा किया जाता है . कई बार तो सदन की बैठक कोरम पूरा करने का जुगाड़ नहीं होने की वजह से ख़त्म कर दी जाती है . यह दिक्कत न केवल हमारे मुल्क में है बल्कि दूसरे देशों में भी महसूस की जा रही है. इस दिक्कत पर काबू पाने के कई बार मेम्बरों कों निर्देश दिए जाते हैं. उनकी बैठक बुला कर सलाह दी जाती है मगर अभी तक कोई खास तबदीली नहीं आई है . ऐसी दिक्कत हमारे एक पडोसी मुल्क की नैशनल असेम्बली में भी हो रही है . वहां की नैशनल असेम्बली के दो सदन सीनेट और निचला सदन हैं. दोनों में हालत एक जैसे हैं लगता है मेम्बरान की दिलचस्पी केवल फायदे उठाने तक ही है . उन्हें अवाम और मुल्क के फायदे के और कानून बनाने के मुद्दों पर चर्चा में संजीदगी से शामिल होने की ज्यादा चिंता नहीं है. इस तरह पार्लियामेंट में खर्च होने वाली मोटी रकम बर्बाद जाती है. यह चिंता का मुद्दा है , आखिर कोई न कोई हल तो निकाला जाना चाहिए . इस मुद्दे पर चर्चा तो की गयी है मगर सबसे अनूठा सुझाव तो हमारे पड़ोसी देश की सीनेट के कुछ मेम्बरान ने दिया है. उनका कहना है कि सीनेट में वीना मालिक कों नोमिनेट कर सदन का मुखिया बना दिया जाये ताकि मेंबर हर दिन , हर वक़्त टिककर बैठे रहें और ऐसी मेम्बर कों देखने , ताकने और नज़रें गढ़ाए रखने के लिए सदन में मौजूद रह सकें . सचमुच ऐसे सुझाव का असर होगा . अगर इसका असर हुआ तो बाकी मुल्कों में भी इस पर अमल किया जा सकेगा. वैसे हमारे देश में भी ऐसी औरतों यानी ऐसी खासमखास हस्तियों की कोई कमी तो नहीं है . हमारे पास तो पूनम पाण्डे, राखी सांवत ही ऐसी हैं कि पार्लियामेंट और असेम्बलियों के मेबर अपने घर और अपने हलकों में भी जाना भूल जायेंगे और कभी भी कोरम का संकट सामने नहीं आएगा . दरअसल यह सच है कि कई बार सहजता में भी ऐसे सुझाव आते हैं जिनसे समस्या का पुख्ता हल निकल आता है.

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