काले धन पर शोर

काले धन पर शोर

पिछले कई साल से काले धन को ले कर हमारे देश में न केवल चर्चा है बल्कि इसे मुद्दा बनाते हुए तरह तरह के आन्दोलन भी किये गए . इस मुद्दे पर बहुत घमासान हुआ . एक वरिष्ठ नेता ने विदेशों में जमा काले धन को वापस लाने को चुनाव का मुद्दा बनाते हुए उम्मीद लगायी कि इस से उठने वाले ज्वार से उन्हें उनका मनवांछित सर्वोच्च पद मिल जायेगा . इस बुराई को समाप्त करने के लिए अदालतों में भी दस्तक दी गयी और सरकार ने कदम उठाये . यह बात अलग है कि इन क़दमों को लोगो ने नाकाफी बताया लेकिन सरकार की मंशा पर बहुत कम लोगों ने कोई संदेह व्यक्त किये. एक भगवाधारी योग गुरु ने भी इसी विषय को लेकर देश भर में जन जागरण किया और काला धन वापस लाये जाने तक संघर्ष करने और आमरण अनशन की शुरुआत की मगर उनकी यह कोशिश केवल चाय के कप का तूफ़ान बन कर रह गयी और उन्हें नौसिखिये की तरह रण छोड़ बन कर दुप्पटे और सलवार में अपनी पहचान छिपा कर भागना पड़ा . इतना ही नहीं काले धन को देश में लाने के दृढ संकल्प के बदले उनके मुंह पर ही कालिख पोत दी गयी.
बहरहाल काले धन का उजाला बेहतरीन होता है और हर वक़्त इस की चमक धमक नज़रों को चुंधियाती रहती है. कहते हैं इस का इस्तेमाल सरकारें बनाने, सरकारें गिराने में खास तौर पर किया जाता है. झूठी शान दिखाने के लिए भी काला धन मददगार बनता है. इस का इस्तेमाल धड़ल्ले से कोठिया बनाने और शादी ब्याह में रुतबा दिखाने के लिए भी किया जा रहा है. काले धन का इस्तेमाल जन भावना को अपनी इच्छा के अनुरूप बदलने में भी किया जा रहा है यह साफ है कि चुनावों में नोटों की बरसात कर, अंधाधुंध खर्च कर और शराब , कबाब का अंबार लगा कर इस का इस्तेमाल करते हुए जनता की भावना दूषित कर लोकतंत्र को बदनाम किया जा रहा है. सच तो यह है कि काले धन का इस्तेमाल , चोरी का मॉल और लाठियों के गज की तरह खर्च हो रहा है.

इस बार इलेक्शन कमीशन ने दिखा दिया है कि अगर इरादे पक्के हों तो क्या नहीं किया जा सकता . निर्वाचन आयोग ने चुनाव प्रक्रिया स्वतत्र और निष्पक्ष बनाने के लिए काले धन के खिलाफ जेहाद चलाया इस दौरान एक सौ करोड़ रुपये की ब्लैक मनी ज़ब्त की गयी . ट्रकों, कारों और गली- बाज़ारों से बेहिसाब रकम पकड़ी गई. मनों मन और टनों टन दारू भी ज़ब्त की गयी. इससे ब्लैक मनी का इलेक्शन में इस्तेमाल करने वालों में दहशत आई है . इस से साबित होता है कि अगर इरादे इस्पाती हों , कदम जज्बाती नहीं हों तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है. काले धन के खिलाफ संघर्ष करने में गभीर या गैर गंभीर तरीके से जुटे लोगों को इससे सीख लेनी होगी . किनारे पे खड़ी किश्ती तूफ़ान से डरती है. गर एक इरादा हो तो पार उतरती है. काश कि हमारे नेता और एजेंसियां इलेक्शन कमीशन की हिम्मत, साहस और कुव्वत को सलाम करते हुए नेक और एक हो कर काले धन के खिलाफ न केवल आवाज़ उठाएंगी बल्कि इसी जज्बे से काम भी करेंगी .

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