केवल लड़की पैदा करती है

केवल लड़की पैदा करती है

एक जाहिल पति ने यह कहते हुए अपनी पत्नी को त्याग दिया के वह केवल लड़कियां पैदा करती है. इस जाहिल ने न केवल अपनी पत्नी को छोड़ दिया बल्कि उसकी चार बच्चियों और एक लड़के तथा बेचारी पत्नी को भी मुसीबतें झेलने के लिए बेसहारा बना दिया . इस के अलावा उस पति ने एक और औरत के साथ इसी तरह का

खिलवाड़ करने के लिए उसे अपने जाल में फंसा लिया.

यह कोई किस्सा नहीं बल्कि हकीकत है और दिल्ली में बवाना का वाक्या है . उस बेसहारा औरत ने गरीबी और भुखमरी की चपेट में परेशान हो कर दो जुड़वां कन्याओं को एक नहर के बहाव में मरने के लिए बहा दिया. कहते हैं जिसको राखे साइंया मार सके न कोय. नहर के पास से निकल रही दो औरतों ने जब इन कन्याओं को बहते हुए देखा तो हिम्मत कर उन्हें बाहर निकाला और पुलिस की मदद से अस्पताल में भर्ती करवाया. दोनों लड़कियां तो बच गयीं मगर एक बड़ा सवाल समाज के सामने खड़ा हो गया . क्या आज फिर वही ज़माना आ गया है जब लडकी पैदा होते ही उसे मार दिया जाता था . इनदिनों लोग चुपके चुपके चोरो चोरी रात के अँधेरे में नवजात लडकियों को कूड़े के ढेर में, झाड़ियों में , अस्पताल के पिछवाड़े और सुनसान में फेंक कर चले जाते हैं. आज तक तो कभी यह नहीं देखा गया की कभी किसी ने अपने नवजात लड़के का इस तरह तिरस्कार किया हो . आखिर इसीसे तो लड़के और लड़की के बीच का फर्क दिखाई देता है. हम लाख कोशिश करें इस अंतर को ख़त्म करने की कामयाबी जल्दी दिखाई नहीं देती . इतना ही नहीं औरत और मर्द के साथ भेदभाव तमाम उम्र समाप्त नहीं होता दीखता . लड़कों और लड़कियों के बीच का अनुपात दिनबदिन भयानक होता जा रहा है. आखिर क्या मतलब है कन्या दिवस मनाने, महिला दशक मनाने या फिर कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ बड़े बड़े आन्दोलन करने का . जिस देश में राष्ट्रपति महिला हो , यू पी ए प्रमुख और तीन तीन मुख्यमंत्री महिलाएं हों , जिसदेश में प्रधान मंत्री महिला रही हो उस देश में कन्या को जन्म लेने से पहले घोर अंधकार के हवाले कर दिया जाये तो लगता है कन्याओं को इस तरह नहर में बहाने और उन्हें जन्म से पहले मार देने की घटनाएँ होती रहेंगी और हमारे तथकथित सजग और संवेदनशील समाज के कान पर जूँ भी नहीं रेंगेगी. काश, हमारा समाज जागे और इस माहौल को बदलने के लिए कमर कस सके .

0 टिप्पणियाँ:

Post a Comment