दिल्ली,देश,दुनिया—सत पाल  01.07.2017
तौबा, एमटीएनएल
दिल्ली समेत देश में अक्सर यह चर्चा रहती है कि सरकारी सेवाओं के मुकाबले निजी सेवाप्रदाताओं की सेवायें बेहतर हैं। सरकारी सेवाओं के बारे में लोगों में विश्वास जमना कठिन हो रहा है। सेवा का उपयोग करने वाले यह सोच कर परेशान हैं कि आखिर किस तरह और किस से उत्तम सेवायें मिल सकती हैं। युवा वर्ग तो सरकारी सेवाओं से एक बार दिक्कत महसूस करते ही सरकारी सेवाओं का मूल्यांकन शून्य मान कर तुरंत निजी सेवाप्रदाता की ओर दौड़ने लगता है। अगर हम टेलिफोन सेक्टर की बात करें तो यह कहना मुश्किल हो जाता है कि उपयोगकर्ताओं का संतुष्टि का स्तर अच्छा है। लोग बड़ी संख्या में अपने कनैक्शन कटवा कर निजी कंपनियों के पास जा रहे हैं। इसके बावजूद एमटीएनएल को कोई चिंता नहीं हालांकि वह अपनी सेवाओं में सुधार के लगातार दावे करते हैं। कहते हैं कि दिल्ली के बाहर भारत संचार निगम लिमिटेड-बीएसएनएल की सेवायें दिल्ली के एमटीएनएल से बेहतर हैं। कुछ भी हो बीएसएनएल ने ग्राहकों को बांध कर रखने के लिये एक नहीं अनेक आकर्षक पैक देने का सिलसिला शुरू किया है मगर एमटीएनएल को इस बारे में सोचने की चिंता ही नहीं है। सरकारी सेवाप्रदाताओं के मुकाबले निजी कंपनियों की सेवायें, शिकायत निवारण की तत्परता, कर्मचारियों का व्यवहार औऱ शिष्टाचार लाख दर्जे बेहतर है। दिल्ली में तो एमटीएनएल की सेवाओं को देख कर यह जुमला इस्तेमाल किया जाता है कि मेरा टेलिफोन नहीं लगता। टेलिफोन और वाई फाई की बार बार शिकायत करने के बाद अगर सुनवाई नहीं हो तो ग्राहकों को गुस्सा आता है और वह दूसरे विकल्प तलाश करते हैं। एमटीएनएल के सुविधा केन्द्र सच कहें दुविधा केन्द्र बन गये हैं। हमारे एक मित्र का वाई फाई कनैक्शन कई दिन तक खराब रहा और शिकायत करने और बार बार एसडीओ से बात करने पर भी कनैक्शन ठीक नहीं हुआ।  आखिर तंग आ कर कनैक्शन कटवाने और निजी कंपनियों का कनैक्शन लेने का मन बना लिया गया। कनैक्शन कटवाने में तो हमारे मित्र को पसीने आ गये और वह  फोन और मोडम ले कर एक स्थान से दूसरे स्थान तक चक्कर लगाता रहा। जैसा संचार केन्द्र ने कहा वैसा मान कर दो स्थानों की दौड़ लगानी पड़ी मगर संचार केन्द्र पर भी स्पष्ट समाधान नहीं मिला आखिर जैसै जैसे तीन घंटे के बाद फोन और मोडम वापस किया जा सका। दो दिन बाद एमटीएनएल से बार बार फोन आया कि क्या आप का वाई फाई काम नहीं कर रहा।   उधर निजी कंपनी के लोग फोन पर अनुरोध मिलने के एक घंटे के भीतर वाई फाई चालू कर गये। यह फर्क है सरकारी सेवाप्रदाता और निजी सेवाप्रदाता में। अब मित्र की लैंडलाइन खराब है, शिकायत दर्ज कराई गयी । ऊपर वाला जाने फोन ठीक होगा या उसका भी वाई फाई की तरह असमय इंतकाल होगा।
आंध्र में शिष्टाचार
आंध्र प्रदेश में सरकारी बसों की दुर्घटनायें बहुत अधिक होने पर राज्य सरकार ने मनन किया तो एक समाधान सामने आया, इसका परिणाम अच्छा निकल रहा है। अब रात में पुलिस जगह जगह बसों को रोक कर चालकों की थकान और तनाव दूर करने के लिये उन्हें  ठंडा पानी और गर्म चाय दे रही है। इसे शिष्टाचार कह सकते हैं।
लंदन की नयी पहल
लंदन में अब स्ट्रीट लाइट से इलेक्ट्रिक कार चार्ज की जा सकेगी। इस तरह वहां हर 200 मीटर पर चार्जिंग स्टेशन बन जायेगा। कारों को एक ऐसी लीड दी जायेगी जिससे ली गयी बिजली का हिसाब होगा और बिल का भी सीधे बैंक से भुगतान होता रहेगा। नयी सुविधा, नयी पहल।

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