छोटी मछली , बडी मछली

समंदर में कितनी मछलियाँ होती हैं --इस का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता । इनमें होती हैं - छोटी मछली , मोटी मछली , पतली मछली, लम्बी मछली ,बड़ी मछली , नाटी मछली । मछलियों का संसार ही निराला होता है , पानी से बाहर उनका अँधियारा होता है तो पानी में उनका उजाला होता है। पानी ही उनके लिए सही मायने में आक्सीजन होता है और पानी उनके लिए सचमुच जीवन होता है। मछली के लिए पानी के बिना सब कुछ सून होता है और पानी ही में उनका बचपन , जवानी , बुढापा और हनीमून होता है ।
काली मछली , चमकीली मछली, सुनहरी मछली , सफ़ेद मछली सभी तो पानी में अपनी मौज मस्ती दिखाती हैं मगर बड़ी मछली से हरेक छोटी मछली घबराती है । छोटी का तो बड़ी काम तमाम कर देती है फ़िर भी मछलियाँ कम नहीं होती ।
जिस तरह समंदर में अनगिनत मछलियाँ हैं उसी प्रकार हमारे मुल्क की माली हालत में इतनी मछलियाँ हैं जिनकी गिनती करना मुमकिन नहीं है । यहाँ की बड़ी बड़ी मछलियाँ सरकार को खरीदने , सरकार चलाने ,सरकार बनाने और सरकार गिराने का दम भरती हैं ।
ऐसी ऐसी बड़ी मछलियाँ है जिनके खिलाफ एक्शन लेने में कानून की हिफाजत करने वाली आला एजन्सिंयाँ घबराती हैं । ऐसी बड़ी बड़ी मछलियों की चलती है और ये आला अफसरों की खिदमत के लिए दौलत के दरवाज़े खोल देती हैं।
जिस तरह हमारे मुल्क में अमीर गरीब को एक साथ जीने और आगे बढ़ने का हक है उसी प्रकार छोटी मछलियाँ भी हांफते कांपते अपना धंधा चलाती हैं । जी हाँ , छोटी मछलियों की रियासत कुछ कमरों तक महदूद रहती है मगर वह भी कानूनी , गैर कानूनी तरीके से अपना वाजिब और काला धंधा करती रहती हैं । ये बात अलग है - उन्हें यह डर सताता रहता है , कहीं कोई बड़ी मछली उन्हें निगल न जाए या फ़िर कोई सरकारी कारिन्दा उनकी गर्दन दबोच न ले । बहरहाल छोटी मछलियाँ भी कानून के कमज़ोर पहलुओं का फायदा उठा कर सरकार की इकनोमी को चूना लगाती हैं मगर बड़ी मछलियाँ तो अपनी कुव्वत ,हिम्मत और ताकत और दौलत की वजह से सरकार की अर्थ व्यवस्था को दिवालिया या फ़िर लंगडा कर देती हैं ।

मछलियाँ इतनी ज़्यादा है ----सरकारी महकमे इनके खिलाफ एक्शन क्या इनकी पहचान भी नहीं कर पाते । पहचान हो भी जाए तो मछलियाँ अपने बचाव के लिए पहचान तलाश लेती हैं और ले दे कर मामला रफा दफा करा लेती हैं। हर शाख पे उल्लू बैठा है, अंजामे गुलिस्तान क्या होगा । हर सिम्त -मछलिया ही मछलियाँ है , इस देश का यारो क्या होगा ।
अब बड़ी मछलियों को काबू में लेने का जो संकेत दिया गया है , उसकी तारीफ़ की जानी चाहिए मगर बड़ी बड़ी मछलियों को गिरफ्त में लेने के लिए बड़े बड़े जाल की ज़रूरत होगी क्योंकि बड़ी मछलियाँ तो छोटी छोटी मछलियों को ख़त्म कर के और ज़्यादा बड़ी हो रहीं हैं और इस तरह हमारी इकानामी को खतरा भी बढ़ रहा है ।

2 टिप्पणियाँ:

very well explained and analysed article sir. regards
nishant

 

Fishes are fishy. It always happen, bigger fish catches smaller.

Hamesha ki tarah mazedaar.

Likhte rahiye.

Manoj Pathak

 

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