ये तेरा मरघट , ये मेरा मरघट

देश की चर्चा उत्तर प्रदेश के बिना अधूरी मानी जाती है । ये तेरा घर , ये मेरा घर । इसके बाद अब महसूस हो रहा है - ये तेरा मरघट , ये मेरा मरघट । इसका मतलब है कि मरने के बाद भी छूआछात और असमानता की लानत पीछा नहीं छोडेगी । राज्य की मुख्यमंत्री के गाँव बादलपुर में सरकार ने ५३ लाख रुपये की लागत से सवर्णों के लिए और ४० लाख रुपये की लागत से दलितों के लिए अलग अलग शमशान घाट बनाये हैं । कहते हैं कि इन शमशान घाटों में केवल बादलपुर और बारी के उन निवासियों को जलाया जा सकेगा जिनका देहांत होगा और बाहरवाले ताकते रह जायेंगे तथा उनके परिवार वालों को शव उठा कर दूर दूर जाना और परेशानियों का करना होगा सामना । ये तेरा मरघट , ये मेरा मरघट। मरने के बाद भी ये कैसा आरक्षण ?

1 टिप्पणियाँ:

this is a thought process which is just brilliant. sir you are imaptful as always.
Nishant

 

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