रिंग रेल का श्रृंगार
थकी, सहमी, भूली, बिसरी दिल्ली रिंग रोड जवान बनने वाली है, इसका श्रृंगार, निखार,सुधार, नया अवतार होने वाला है। 1975 में केवल माल ढुलाई के लिये शुरू की गयी रिंग रेल को 1982 में एशियाड  से पहले बहुत ऑक्सीजन दे कर यात्रियों की सेवा के लिये खोल दिया गया और इसके लिये नेहरू स्टेडियम के नजदीक के स्टेशनों- लाजपत नगर, लोदी कॉलोनी, सरोजनी नगर, सफदरजंग और चाणक्यपुरी का 53 करोड़ रुपये  की लागत से कायाकल्प कर 21 स्टेशनों के लिये 35 किमी पर रिंग रेल दौड़ने लगी। दौड़ती रही मगर सफेद हाथी बन गयी, यात्रियों की दैनिक संख्या केवल 3700 ही रही। इसका किराया सबसे सस्ता है लेकिन ये यात्रियों को मझधार में छोड़ती है क्योंकि कनैक्टिंग सेवाओं के लिये सरकार ने चिंतन, मनन नहीं किया। अब सरकार जागी है और इसने रिंग रेल के पूरे रूट का कायाकल्प करने का फैसला लिया है। इससे सुनसान, भयावह  रूट गुलजार होगा और यात्रियों की तादाद तेजी से बढ़ेगी। दरअसल 21 में से 17 स्टेशनों और इस रेल की पटरियों के दोनों ओर व्यावसायिक दृष्टि से विकास किया जायेगा जिससे रिंग रेल का मार्ग लुभावना और कमाऊ बनेगा। रिंग रोड के मार्ग पर दिल्ली की 231 किलो मीटर लंबी जीवन रेखा- दिल्ली मेट्रो के कई महत्वपूर्ण स्टेशन हैं जो कनैक्टिविटी  बढ़ाने में मददगार बन सकते हैं। विकास के तहत रेल लाइनों के दोनों ओर खाली स्थान पर हरियाली के अलावा व्यावसायिक स्थल, होटल, रेस्तरां, अस्पताल, और रिहायशी बस्तियां और बहुमंजिला फ्लैट बनाये जाने हैं।  ये सब हो जाने से इन इलाकों में रौनक आयेगी, स्टेशनों का कायाकल्प होगा तथा यात्रियों की संख्या में भी काफी वृद्धि होगी। लोग होटलों, रेस्तरां, अस्पतालों, मार्केटों में आने जाने के लिये रिंग रेल में सफर करेंगे और फ्लैटों और घरों में रहने वाले लोग और उनके मित्रों तथा रिश्तेदारों का आना जाना लगा रहेगा। रिंग रेल में सुबह से रात तक यानी आखिरी रेल चलने तक यात्री बढ़ते जायेंगे। रेलों के फेरे बढ़ेगे और रिंग रेल की उदासी समाप्त होगी तथा सफेद हाथी मेट्रो जैसा कमाऊ साबित होगा। सब से अहम है कि दिल्लीवासियों और बाहर से आने वालों को यात्रा का एक सुधरा हुआ माध्यम मिल सकेगा और रिंग रेल के आस पास के बाजारों में भी तो खरीददारों की भीड़ बढ़ेगी और रिंग रेल  का  फायदा होगा।
नायब तहसीलदार की भर्ती
जम्मू कश्मीर में नायब तहसीलदार की भर्ती के लिये आवेदन भरे गये और परीक्षा के प्रवेश पत्र भी भेजे जा रहे हैं। एक गधे के नाम पर भी प्रवेश पत्र जारी हआ है क्योंकि किसी ने गधे के नाम से उसका फोटो लगा कर आवेदन किया था। सोचने की बात है कि गधा बेईमानी नहीं करता, केवल बताये गये रास्ते पर चलता है और काम के बोझ से भी घबराता नहीं तो गधे को यह पद देने में क्यों संकोच किया जाये। यह तो केवल इस आवेदन पर चर्चा के रूप में किया जा रहा है। देश में कई युवकों को फार्म भरने की भी शायद फुर्सत नहीं रहती।
प्रकाश नहीं हुआ


20 वर्ष  तक लाइटर एक व्यक्ति के पेट के भीतर महमान रहा मगर उससे  वहां प्रकाश नहीं हुआ। चीन के सिचुआन प्रांत में एक आदमी को पेट का जबर्दस्त दर्द हुआ, डाक्टर कारण मालूम नहीं कर सके। आखिर ऑप्रेशन किया गया, भीतर से एक लाइटर निकला जो न तो बड़ा न छोटा हुआ। लाइटर  बीस साल  कैदखाने में रहा।  उस आदमी ने बताया कि वह बीस साल पहले गलती से लाइटर निगल गया था और गलती भुला बैठा था।

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