दिल्ली, देश, दुनिया - सतपाल
आॅड-ईवन
देश की राजधानी दिल्ली में भले ही आॅड-ईवन को लेकर वार, प्रतिवार, तकरार जारी है और पिछली बार लागू किए गए आॅड-ईवन के परिणाम के बारे में चर्चा की जा रही है। एक पक्ष कह रहा है कि पिछली बार इसके अच्छे नतीजे निकले थे जबकि दूसरा पक्ष कह रहा है कि इससे प्रदूषण पर रत्ती भर भी लगाम नहीं लगी थी। कुछ भी हो आॅड-ईवन की अवधारणा का सामाजिक पक्ष पर भी असर पड़ रहा है। एक नए शादीशुदा जोड़े ने आॅड-ईवन, आॅड-ईवन के शब्द बार-बार सुने तो उनमें भी तकरार हुआ। पत्नी ने कहा कि मैं हर रोज खाना पकाती हूँ, सफाई करती हूँ, बर्तन मांजती हूँ, मैं ही क्यों हर दिन यही करती रहूँ। पतिदेव महाराज आप भी तो मेरे ‘‘बैटर हाॅफ’’ हैं आप भी बारी-बारी से यह काम किया कीजिए। आखिर आपसी कशमकश दूर करने के लिए तय हुआ कि एक दिन पत्नी ये सब काम करेगी तो दूसरे दिन पति। ये सिलसिला ऐसा ही चलता रहेगा। पत्नी की जन्म तिथि 5 जनवरी और पति की 18 जुलाई है। इसलिए आॅड तिथि को पत्नी सारा काम करेगी और ईवन तिथि को पति। पति और पत्नी दोनों नौकरी करते हैं, इसलिए दोनों बारी-बारी से अपने दफ्तर में या तो देरी से जाने लगे या फिर आधे दिन की छुट्टी लेने लगे। ये उनकी आदत बन गयी और दफ्तर ने उन दोनों को कारण बताओ नोटिस दे दिया। पति के हाथ बर्तन मांजते-मांजते काले हो गए, घिस गए तो दफ्तर में उससे कोई न तो हाथ मिलाता और न ही कोई महिला उसकी तरफ देखती। उधर पत्नी को तो अच्छा लगता था कि उसे कम काम करना पड़ रहा है, मगर दफ्तर से बार-बार छुट्टी लेने तथा देर से आने पर डांट मिलती थी। ये आॅड-ईवन उन दोनों के लिए मुसीबत बन गया और दोनों के बीच मतभेद का कारण भी बन गया।
मेहमाननवाजी
एअरपोर्ट पर सबसे अजीब आवभगत और मेहमाननवाजी के लिए इंडिगो एअरवेज ने नाम कमाया है। इस एअरवेज के फील्ड स्टाॅफ ने एक यात्री की फर्श पर लिटा कर जम कर धुनाई की और अब एक और कर्मी ने व्हील चेयर पर एक बुजुर्ग को खींचते हुए गिरा दिया और उसे बुरी तरह जख्मी कर दिया। भगवान बचाए ऐसी मेहमाननवाजी से।
नया रिकाॅर्ड
जर्मनी के एक अस्पताल में एक मेल नर्स ने मौत की दहलीज पर पड़े मरीजों की जान बचाने में नया रिकाॅर्ड बनाया है। नील्स होजेल नाम का यह स्वास्थ्यकर्मी रिकाॅर्ड बनाने के लिए मरीजों को तय मात्रा से ज्यादा दवाई का इंजेक्शन दिया करता था। जब मरीज का जीवन डगमगाने लगता तो उन्हें कम दवा का इंजेक्शन दे कर बचाया करता था। इस तरह सौ मरीजों की जान गई और 50 बच गए। उसे मरीजों की जान बचाने के लिए सम्मानित किया गया।
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