दिल्ली,देश,दुनिया—सत पाल
तेज धड़कन
देश की राजधानी दिल्ली में इन दिनों कुछ अजब बेकरारी है, ज्यादातर लोगों के दिलों में तेज धड़कन और लाचारी है।  ऐसे माहौल के लिये किसी व्यक्ति या सरकार को दोषी और जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। इन दिनों राजनेता, चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवार, व्यापारी- दुकानदार, अभिभावक यानी माता पिता और नये, पुराने, डटे हुये, थके हुये, टिके हुये राजनीतिक दल, उनके समर्थक, चिंतक सभी के दिलों में धड़कन तेज होती जा रही है तथा कल क्या होगा, इसे लेकर कशमकश बढ़ती जा रही है। ये नहीं कहा जा सकता कि हर दिशा में निराशा का आलम है आखिर कई दिलों में आशा का उजाला घुप्प अंधकार को चीर कर बाहर निकलने को तैयार है। ऐसे माहौल के  कारण की तलाश करें तो ज्यादा मशक्कत नहीं करनी होगी केवल आपके दिलो दिमाग में पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम की  याद की कुछ न कुछ मौजूदगी होनी जरूरी है। कारण हैं सीलिंग, विधान सभा के 20 निर्वाचन क्षेत्र में उप चुनाव की आशंका, हाई कोर्ट के फैसले मे सीट बच जाने की उम्मीद, अच्छे से अच्छे स्कूल में लॉटरी से या तीर तुक्के से आंखों के तारे के दाखिले की आशा और हक में सब कुछ होने या नहीं होने के बीच का बनता बिगड़ता संतुलन और भीतर का मन जो चैन की बंसी को नदी, नाले, तालाब में फेंक कर सब कुछ ऊपर वाले के हवाले करना चाहता है मगर मजबूर है, ऐसा कर नहीं सकता। मन के सवालों के साथ भविष्य जुड़ा है तभी तो मन इंतजार के कच्चे धागे के बंधन के साथ बेमन हो कर भी खड़ा है। दिल्ली की नयी पार्टी परेशान है कि हाई कोर्ट सीटें बचने का फैसला देगा और अगर उप चुनाव हुये तो लुटिया बचेगी या डूबेगी, सबसे पुरानी पार्टी को भय है कि कहीं फिर शून्य का महाकाल उसे डकार तो नहीं जायेगा और भगवा पार्टी को देश में चल रही हवा का भरोसा है तो सीलिंग के दंश से तगड़ा झटका लगने से डर लग रहा है। पुरानी पार्टी और नयी पार्टी की सोच है कि सीलिंग का जिन्न भगवा दल को पाताल में जा पटकेगा तो भगवा पार्टी को लगता है कि नयी पार्टी की चमक को ऐसा ग्रहण लगा है कि उसकी बुलंदी का कुतुब मीनार 130 साल के वृद्ध की तरह कुबड़ा गया है। उधर पुरानी पार्टी का मानना है कि  बाकी दोनों पार्टियों के गले में फंसा सीलिंग का फंदा उनको जीने नहीं देगा। ऐसे ही व्यापारियों के दिल सीलिंग के नाम पर इंजन की सीटी की तरह आवाज करते हैं तो बच्चों के अभिभावकों के चेहरे  दाखिले की चिंता में पपीते के रंग में हैं और खाना पीना भूल रहे हैं। दिन है कि धड़कता है, बजता है, दिलासा नहीं देता।
नेक विचार
केन्द्र में सत्तारूढ़ पार्टा के एक सासंद ने सलाह दी है कि बेहद अमीर सांसदों को अपनी सैलरी गिव अप करनी चाहिये। देश हित में दी गयी सलाह तो नेक है मगर कोई एक माने तो। अगर मुश्किल से परिवार चलाने वाले  लाखों लोग गैस की सब्सिडी छोड़ सकते हैं तो समाज सेवा का इरादा कर के राजनीति में आये सांसदों को वेतन गिव अप करना चाहिये आखिर उन्हें तो अनेक सुविधायें मुफ्त में मिलती हैं।
स्पिल्ट हार्ट
स्पिल्ट ऐ सी तो आप ने देखा होगा मगर स्पिल्ट हार्ट नहीं। ब्रिटेन की सेल्वा हुसैन अपना आर्टिफिशियल दिल थैले में ले कर घूमती है और थैले में से दो तार उसके सीने से जुड़ी रहती हैं। डाक्टरों ने उसे मौत के मुंह से निकाल कर कृत्रिम दिल लगाया है। दुनिया में अब तक ऐसा दिल केवल दो इंसानों को लगा है। दिल है कि रुकता नहीं।

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